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Manmohan Singh: An Revolutionary leader, Passes Away at 92

Manmohan Singh

Manmohan Singh

Manmohan Singh भारतीय राजनीति के एक बड़े और प्रभावशाली नेता थे। Manmohan Singh का जन्म 26 सितम्बर को 1932 में गांव गाह,चकवाल जिला, पंजाब भारत में हुआ था (आज पंजाब, का वो गांव पाकिस्तान में शामिल होता है) मनमोहन सिंह भारत के 13 वें प्रधानमंत्री थे। साथ ही वह अर्थशास्त्री भी थे जवाहरलाल नेहरु के बाद भारत के पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने 5 साल प्रधानमंत्री का पद पर बैठकर सफलता पूर्वक कार्य पूरा किया और दोबारा प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला।

10 साल लगातार प्रधानमंत्री की पद को संभाला। उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी देश की सेवा में समर्पित कर दी। 26 दिसम्बर 2024 को 92 साल की उम्र में उनका निधन हो गया । लेकिन उनके काम और उनके द्वारा किए गए देश के हित में फैसले आज भी यादगार है और हमेशा रहे गए।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

Manmohan Singh का बचपन मुश्किलों से भरा था। भारत-पाकिस्तान का विभाजन हुआ, तो उनका परिवार भारत आ गया। इस दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और शिक्षा को हमेशा प्राथमिकता दी। वे एक मेधावी छात्र थे और उनका सपना था कि वे अपनी शिक्षा के माध्यम से देश की सेवा करें।

उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पंजाब विश्वविद्यालय से की, फिर कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में पोस्टग्रेजुएट और डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। उनकी शिक्षा ने उन्हें न केवल गहरी सोच दी, बल्कि उन्होंने भारतीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था को समझने में भी मदद की, जो बाद में उनके फैसलों में दिखाई दी।

आर्थिक सुधार और परिवर्तन

1991 में भारत गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था। देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार कम था और मुद्रा स्फीति (inflation) बढ़ रही थी। उस समय, मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री के रूप में जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने जो कदम उठाए, वे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए क्रांतिकारी साबित हुए।

सबसे पहले, उन्होंने आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया को अपनाया। विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए व्यापार और उद्योगों के नियमों में बदलाव किए।

उन्होंने भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत सुधार किए।

सरकारी नियंत्रण को घटाया और निजी क्षेत्र को स्वतंत्रता दी, जिससे भारतीय उद्योगों को नए अवसर मिले और वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो सके।

इन कदमों से भारत की अर्थव्यवस्था ने तेज़ी से सुधार किया और आज हम देख सकते हैं कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो चुका है। यह सब मनमोहन सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम था।

प्रधानमंत्री के तौर पर काम

2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत ने कई बड़े बदलाव देखे। उनके समय में कई योजनाएं शुरू हुईं, जिनका सीधा असर आम लोगों की जिंदगी पर पड़ा।

उन्होंने MGNREGA (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) जैसी योजना शुरू की, जिससे ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर मिले।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू किया, जिससे गरीबों को सस्ता राशन मिल सका।

स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार किए, ताकि हर किसी को अच्छी सेवाएं मिल सकें।

उनके समय में भारत की विदेश नीति मजबूत हुई और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान को और भी सशक्त किया।

सादगी और ईमानदारी का प्रतीक

Manmohan Singh की सबसे बड़ी खासियत थी उनकी सादगी और ईमानदारी। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी, उन्होंने अपनी ज़िंदगी बहुत साधारण रखी। वे कभी भी सत्ता का गलत इस्तेमाल नहीं करते थे। वे कभी विवादों में नहीं पड़े और हमेशा अपने कार्यों से दूसरों को प्रभावित किया। उनका मानना था कि राजनीति में दिखावा और शोरगुल का कोई मतलब नहीं, असली काम तो जनता की भलाई में है। उनके इस दृष्टिकोण ने उन्हें जनप्रिय बना दिया। उनका उदाहरण यह बताता है कि अगर आप सच्चे इरादों से काम करें, तो सफलता जरूर मिलती है।

Manmohan Singh : https://en.wikipedia.org/wiki/Manmohan_Singh

Manmohan Singhकी विरासत

Manmohan Singh ने जिस तरह से भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी, वह हमेशा याद रखा जाएगा। उनका योगदान केवल प्रधानमंत्री के तौर पर नहीं, बल्कि एक अर्थशास्त्री और नेता के रूप में भी बड़ा था। उन्होंने यह साबित किया कि अगर सही दिशा में काम किया जाए, तो किसी भी संकट को पार किया जा सकता है।

आज जब हम भारत की आर्थिक सफलता की बात करते हैं, तो Manmohan Singh का नाम जरूर लिया जाएगा। उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाता है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी मुश्किल को आसान बनाया जा सकता है। उनका योगदान हमेशा भारत के इतिहास में एक सुनहरे अध्याय के रूप में जीवित रहेगा।

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